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कुणाल शर्मा हत्याकांड के बाद फिर शर्मसार हुई योगी सरकार

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ललित मिश्र नोएडा। कुणाल शर्मा के अपहरण एवं हत्याकांड के बाद एक बार फिर नोएडा पुलिस सुर्खियों में आ गई है। पुलिस हिरासत में हुई योगेश की मौत से योगी सरकार को शर्मसार होना पड़ेगा। गत सप्ताह ग्रेटर नोएडा के कुणाल शर्मा का अपहरण कर हत्या कर दी गई थी। अपहर्ताओं को पकड़वाने के लिए परिवार के लोगों ने तमाम सबूत मौजूद काराए लेकिन पुलिस ने किसी ठोस कार्रवाई को अंजाम नहीं दिया। निवर्तमान सांसद डॉ महेश शर्मा के हस्तक्षेप से इस मामले का पर्दाफाश किया गया। वहीं विसरख क्षेत्र के चिपियाना पुलिस ने आज एक नई करतूत को अंजाम दे दिया है। इस घटना से क्षेत्र के जनप्रतिनिधि समेत उत्तर प्रदेश सरकार शर्मसार हो गई है। इस मामले में चिपियाना पुलिस चैकी के सभी कर्मचारियों को निलंबित कर दिया गया है। पुलिस अधिकारियों ने बताया है कि इस मामले में विभागीय जांच शुरू कर दी गई है। दोषी पाए जाने पर कठोर कार्रवाई की जाएगी। अधिकारियों के मुताबिक योगेश ने आत्महत्या की है। मृतक योगेश के भाई जितेंद्र ने आरोप लगाया है कि चिपियाना पुलिस ने योगेश को छोड़ने के एवज में 5 लाख रुपए की डिमांड की थी, 50 हजार रुपए और शराब के लिए अलग से एक हज

राहुल गांधी के ऐसे ही बयान आते रहे तो भाजपा साढे चार सौ पार कर देगी

 

-ललित मिश्र-

नोएडा। निश्चित रूप से यह लोकसभा चुनाव बेहद महत्वपूर्ण है। देश का दुर्भाग्य है कि बहुसंख्यक समाज को मजबूरी में भी भाजपा का ही सहारा लेना पड़ रहा है। कोरोना काल के बाद आमजन की उधड़ी जिंदगी अभी तक सभलने का नाम नहीं ले पाई है। जिससे आमजन परेशान जरूर है लेकिन उम्मीद पर कायम है। विपक्ष महज सत्ता की खातिर एक जुट होकर सनातन और हिंदू धर्म विरोधी बयान देकर देश का नेतृत्व करना चाहता है। कांग्रेस नेता राहुल गांधी के हिंदू विरोधी ऐसे ही बयान आते रहे तो वह दिन भी दूर नहीं जब भाजपा साढे 4सौ के पार भी हो जाएगी। साइलेंट वोटरों का अंडर करंट और उनका गुस्सा इससे बढ़ जाता है जिसका पूरा लाभ भाजपा को ही मिलना तय है। 

बहुसंख्यक समाज के भगवानों का विरोध करना, धार्मिक गतिविधियों पर विपक्ष का प्रहार करना, मुसलमान हितों के लिए दलित विरोधी बयान आने विपक्ष की जड़ों को खोखला कर रहे हैं। तेजस्वी यादव, अखिलेश यादव, केजरीवाल जैसे नेता एकजुट जरूर दिखाई दे रहे हो लेकिन सिद्धांतों के आधार पर यह आज भी अलग-थलग पड़े हुए हैं। यह भी तय है कि उनकी एक जुटता ही एक दूसरे के पाप का कारण बन जाएगी। 

पिछले सात दशक से भारत का मतदाता लोकतंत्र की अस्वस्थ परंपराओं का ही अनुसरण करता चला रहा है जिसके अंकगणित पर भारतीय जनता पार्टी ने अब अपना कब्जा कर लिया है। देश के 141 करोड़ जनता के भाग्य का फैसला महज 23 करोड़ मतदाता ही कर देते हैं। देश में 97 करोड़ मतदाता। करीब 50 करोड़ के लगभग मतदान होता है। बड़ा जनादेश प्राप्त करने के लिए प्राप्त करने के लिए मात्र 25 करोड़ वोटो की आवश्यकता होती है। भारतीय जनता पार्टी के करीब 20 करोड़ सदस्य हैं। नेताओं के प्रचार के जरिए 5 करोड़ वोट हासिल करना कोई बहुत बड़ा काम नहीं है। 25 करोड़ वोट प्राप्त करने के बाद भारतीय जनता पार्टी का आंकड़ा 450 के पार कर जाए तो हैरानी नहीं होगी।

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