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देश के लाखों पत्रकारों के रोजगार को खा गयी भाजपा
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ललित मिश्र
नोएडा। अभिमान से भरी भाजपा लगातार पत्रकारों व उनके समाचार पत्रों पर नकेल कसने का काम कस रही है। भाजपा के नेता यह भूल गए हैं कि इन्हीं पत्रकारों के दम पर आज सत्ता में काबिज है। एक समय था जब इन्हें बड़े पत्रकार कभी पूछा ही नहीं करते थे। छोटे पत्रकारों की स्वतंत्रता को यह लगातार नष्ट करने के काम में लगे हैं। भाजपा के नेता कुछ ऐसा ही काम कर रहे हैं जैसे जिस डाल पर बैठे हो उसी को वह काट रहे हैं, जिसका खामियाजा भाजपा को भुगतना ही पड़ेगा। देश के लाखों पत्रकार अब बेरोजगार हो चुके हैं, उनके पास कोई कारोबार नहीं है। आने वाले दिनों में भाजपा की सरकार सोशल मीडिया पर पत्रकारिता कर रहे पत्रकारों पर भी अंकुश लगाने का काम करेगी।
केंद्र सरकार के इशारे पर रजिस्ट्रार आफ न्यूज पेपर्स के नियमों में परिवर्तन का सिलसिला जारी है। हो रहे बदलाव में समाचार पत्र के मालिकों की समस्याएं लगातार बढ़ रही हैं जिसके कारण उन्हें अपने समाचार पत्र बंद करने पड़ रहे हैं। भाजपा नेता छोटे समाचार पत्रों को बंद करने की नीयत से काम कर रहे हैं। यहां प्रश्न उठता है कि छोटे समाचार पत्रों के मालिकों उनके खिलाफ ऐसा क्या काम किया है जिसे वह देखना पसंद नहीं कर रहे हैं। इतिहास गवाह है किसी भी घोटाले अथवा घपले का पर्दाफाश सिर्फ छोटे समाचार पत्रों के मालिकों ने ही किया है। बड़े समाचार पत्रों के मालिक पत्रकारिता नहीं सरकार की चाटुुकारिता ही करते चले आ रहे हैं। पत्रकार अथवा लेखक को खत्म करना किसी भी सरकार के वश में नहीं है यह लोग किसी न किसी माध्यम से देश को जगाने का काम करते रहे और यह सिलसिला कभी रुकने वाला भी नहीं है। भाजपा सरकार से राहत की महसूस थी लेकिन डायन पहले अपने घर को ही खा जाती है इसी तरह का कृत्य भाजपा सरकार कर रही है जिसका खामियाजा भी इसी सरकार को भुगतना पड़ेगा। देश में बने मीडिया क्लब अथवा मीडिया संगठन एक गिरोह के रूप में काम कर रहे हैं उनकी उपयोगिता पर अब प्रश्न चिन्ह लगना शुरू हो चुके हैं। समय रहते यदि भाजपा सरकार ने पत्रकारों के हित में काम नहीं किया तो आने वाला समय भाजपा के लिए चुनौतियों भरा होगा।
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